Thursday, 10 September 2015

क्रिकेट जगत को मिला नया लसिथ मलिंगा

क्रिकेट जगत को मिला नया लसिथ मलिंगा..




नई दिल्‍ली: आईसीसी के ट्विट ने कई बल्लेबाज़ों की रातों की नींद उड़ा दी है। आईसीसी ने सोमवार को फ़िजी के एक खिलाड़ी विलामी मनाकिवई (Viliame Manakiwai) की गेंदबाज़ी करते हुए वीडियो ट्विट किया जिसे देखकर हर कोई उनकी तुलना श्रीलंका के तेज़ गेंदबाज़ लसिथ मलिंगा से करने लगा।

मनाकिवई की गेंदबाज़ी एक्शन मलिंगा से काफ़ी हद तक मेल खाती है। हालांकि उनकी गेंदबाज़ी एक्शन पूरी तरीके से मलिंगा के जैसी नहीं है। आईसीसी ने जो वीडियो ट्विट किया है उसमें वो मलिंगा के जैसी एक्शन से गेंदबाज़ी करते हुए विकेट उड़ाते दिखाई दे रहे हैं।
 
The new Lasith Malinga? WATCH Viliame Manakiwai's cracker of a delivery for @CricketFiji at
मलिंगा ने श्रीलंका के लिए 30 टेस्ट मैच खेलते हुए 101 विकेट लिए हैं। वहीं 188 वनडे में उन्होंने 287 विकेट लिए हैं। मलिंगा हमेशा से अपनी गेंदबाज़ी एक्शन को लेकर विवादों में रहे हैं। स्लिंगा मलिंगा नाम से मशहूर श्रीलंकाई गेंदबाज़ पर बैन लगाने के लिए कई बार मांग उठ चुकी है लेकिन आईसीसी ने उनके साइड आर्म एक्शन को ग़लत नहीं पाया। मलिंगा ने अपनी गेंदबाज़ी एक्शन पर सफ़ाई देते हुए कहा था कि उन्होंने टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते हुए ऐसी गेंदबाज़ी करना सीखा है। मलिंगा की कप्तानी में श्रीलंका ने पिछले साल T20 वर्ल्ड कप जीता है।

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'मैंने चाय बेचते-बेचते हिन्दी सीखी', पढ़ें विश्व हिन्दी सम्मेलन में PM मोदी की खास बातें

'मैंने चाय बेचते-बेचते हिन्दी सीखी', पढ़ें विश्व हिन्दी सम्मेलन में PM मोदी की खास बातें



भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिन्दी के महत्व को रेखांखित करते हुए कहा कि अगर उन्हें हिन्दी नही आती, तो उनका क्या होता। साथ ही उन्होंने देश की हर मातृभाषा को अमूल्य बताते हुए कहा कि हिन्दी उन सभी को साथ लाए और अपने को समृद्ध बनाए।

पीएम मोदी ने भोपाल में 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आगाह किया कि भाषा की भक्ति बहिष्कृत करने वाली नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सम्मिलित करने वाली होनी चाहिए, सबको जोड़ने की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषा के दरवाजे बंद नहीं होने चाहिए, क्योंकि जब-जब ऐसा हुआ है, वह भाषा विकसित होने के बजाय ठप हो गई है।

उन्होंने कहा कि भाषाशास्त्रियों का मानना है कि 21वीं सदी के अंत तक विश्व की 6,000 में से 90 प्रतिशत भाषाएं लुप्त हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम इस चेतावनी को नहीं समझें और अपनी भाषाओं के संरक्षण के प्रयास नहीं किए तो हमें ऐसा रोना पड़ेगा, जैसे डायनासोर या कई अन्य जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधों की प्रजातियों के लुप्त होने पर रोना पड़ रहा है।

विकसित हो रही डिजिटल भाषाओं का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा, आने वाले दिनों में डिजिटल दुनिया में अंग्रेजी, चीनी और हिन्दी का दबदबा बढ़ने वाला है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में भाषाओं का अनमोल खजाना है। इन भाषाओं को हिन्दी से जोड़ने पर राष्ट्रभाषा और ताकतवर होती जाएगी।

पीएम के संबोधन के मुख्य अंश -
  • सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी
  • भोपाल में हिन्दी का ये महाकुंभ हो रहा है
  • भाषा में ज्ञान का भंडार
  • हिन्दी की विरासत को सुरक्षित रखने का दायित्व
  • हिन्दी की ताकत का अंदाजा है मुझे
  • अगर मैं हिन्दी न जानता तो लोगों तक नहीं पहुंच सकता था
  • भाषा लोगों को जोड़ते हुए आगे बढ़ती है।
  • भाषा एक मचलता हुआ हवा का झोंका
  • जैसे जीवन में चेतना, वैसे भाषा में भी
  • विदेशों में भी हिन्दी की किताबों का प्रदर्शन
  • संस्कृत भाषा लुप्त होती जा रही है
  • चाय बेचते-बेचते हिन्दी सीखने का मौका मिला, भाषा सरलता से सीखी जा सकती है
  • भाषाओं को जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए, हिन्दी बन सकती है सूत्रधार
  • हमारी भाषा कई देशों में पहुंची हुई है
  • दूसरी भाषा के अच्छे शब्दों को अपनाना चाहिए
  • हिन्दी में बोलने पर दम वाला व्यक्ति समझा जाता है
  • चीन में गया था, वहां हिन्दी भाषा जानने वाले का अलग कार्यक्रम हुआ, वे बहुत बढ़िया जानते थे
  • मंगोलिया में भी हिन्दी भाषा जानने वाले लोग नजर आए
  • रूस में हिन्दी भाषा पर बहुत काम हो रहा है
  • फिल्म इंडस्ट्री ने भी विदेशों में हिन्दी पहुंचाने का बहुत बड़ा काम किया है
  • भाषा के रूप में आने वाले दिनों में हिन्दी का महत्व बढ़ेगा
  • भाषा शास्त्रियों  का मत है कि दुनिया में करीब 6000 भाषाएं
  • अर्थशास्त्रियों ने 21वीं सदी के अंत तक इसमें से 90 प्रतिशत भाषाएं लुप्त होने की बात की
  • ये चेतावनी हम न समझे और हमारी भाषा को ध्य़ान नहीं रखा तो रोना पड़ सकता है
  • भाषा के दरवाजे बंद नहीं किए जा सकता
  • इन दिनों दुनिया के जिन भी देशों में जाता हूं, वे हिन्दी में बोलते हैं, 'सबका साथ, सबका विकास'
  • ओबामा और पुतिन भी हिन्दी में बोलते हैं, 'सबका साथ, सबका विकास'
  • फणीश्वर नाथ रेणु, प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद न होते समाज को कैसे समझते
  • जो टेक्नोलॉजी के जानकार हैं, उनका कहना है कि डिजीटल वर्ल्ड में तीन ही भाषाओं का दबदबा होगा, अंग्रेजी, चीनी और हिन्दी... (इनपुट भाषा से भी)

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हिन्दी भाषी लोगों के लिए हिन्दी में आएगी सोशल नेटवर्किंग साइट 'मूषक'

हिन्दी भाषी लोगों के लिए हिन्दी में आएगी सोशल नेटवर्किंग साइट 'मूषक'




भोपाल: दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में शिरकत करने आए पुणे के अनुराग गौड़ व उनके साथियों ने मंगलवार को भोपाल में 'ट्विटर' की तर्ज पर पूरी तरह हिन्दी में काम करने वाला 'मूषक' सोशल नेटवर्किंग साइट देशवासियों और हिन्दी प्रेमियों के लिए पेश की है। यह साइट अभी ऑनलाइन नहीं हुई है, कहा जा रहा है कि 10 सितंबर को इसे जारी किया जाएगा।

हिन्दी सोशल नेटवर्किंग साइट 'मूषक' के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) अनुराग गौड़ ने बताया कि जहां ट्विटर पर शब्दों की समय सीमा 140 शब्द हैं, वहीं हमने मूषक पर इसे 500 रखा है। कम्प्यूटर अथवा स्मार्टफोन पर हिन्दी टाइप करना रोमन लिपि पर आधारित है, इसलिए लोग हिन्दी लिखने से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में बदलती तकनीक के साथ हिन्दी को लोगों से परिचित कराना होगा, ताकि लोग रोमन लिपि से पिछड़कर अपनी पहचान ना खो दें।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन पर उनकी इस सोशल नेटवर्किंग साइट 'मूषक' को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है तथा इसके अलावा कम्प्यूटर पर इसे गूगल सर्च में www.mooshak.in के नाम से खोजा जा सकता है।

गौड़ ने कहा कि भाषा वैज्ञानियों का विचार है कि जो भाषा हम बोलना जानते हैं, उसे थोड़े प्रयत्नों से ही सरलता से लिखना सीख जाते हैं। उन्होंने कहा कि 'मूषक' का उद्देश्य हिन्दी और देवनागरी को आज की पीढ़ी के लिए सामयिक और प्रचलित करना है। इस सोशल नेटवर्किंग साइट पर हिन्दी भाषी रोमन में टाइप करने से वहीं तत्काल हिन्दी शब्द का विकल्प पा सकेंगे।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में 'मूषक' के सीईओ ने कहा कि ट्विटर, फेसबुक सरीखे सोशल नेटवर्किंग साइट्स, जिसे हमारे नेताओं, अभिनेताओं और प्रतिष्ठित लोगों ने जोर-शोर से अपनाया है, वहां प्राथमिकता अंग्रेजी भाषा को दी जाती है और उसे ही देश की आवाज समझा जाता है। हिन्दी दोयम दर्जे की मानी जाती है। उन्होंने कहा कि मूषक द्वारा हम इस प्रक्रिया को सही मायनों में गणतांत्रिक बनाना चाहते हैं, जहां गण की आवाज गण की भाषा में ही उठे।

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फलों-सब्जियों के छिलकों से बना श्रीखंड और चाकलेट दूर रखेगा रोगों से

फलों-सब्जियों के छिलकों से बना श्रीखंड और चाकलेट दूर रखेगा रोगों से




वाराणसी: बीएचयू के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी विभाग में फलों और सब्जियों के छिलकों से बने उन खाद्य पदार्थों पर शोध हो रहा जिनमें स्वाद के साथ सेहत का खजाना भी छिपा है। एंटीऑक्सीडेंट के भण्डार से भरे सेब, अनार, अंगूर, टमाटर, ब्रोकली आदि के छिलकों का पाउडर बनाकर दही , श्रीखण्ड, चॉकलेट जैसे उत्पाद तैयार किए जाने की तैयारी है। यह कैंसर, हार्ट डिसीज, डाइबिटीज जैसी बीमारियों के रोकथाम में कारगार सिद्ध होंगी।

बीएचयू के खाद्य विज्ञान एवं प्रद्यौगिकी विभाग में  हर दिन  शोधार्थी अनार और सेब के छिलके उतारते हुए दिख जाएंगे। वह फेंक दिए जाने वाले इन छिलकों पर अपनी प्रयोगशाला में शोध कर रहें हैं। हमारे शरीर में होने वाले कई रोगों से लड़ने के लिए इसका पाउडर तैयार करने के लिए इकट्ठा करते हैं। छिलकों में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट की गुणवत्ता ही इनके शोध का विषय है। प्रोफेसर और इस टेस्ट के विशेषज्ञ  डा अरविन्द बताते हैं कि फलों और सब्जियों के छिलकों में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है, लिहजा हमारी कोशिश है कि इनमें जो एंटीऑक्सीडेंट है वह शरीर में रोग बढ़ाने वाले  फ्री रेडिकल को रोकेगा।

छिलकों से एंटीऑक्सीडेंट को निकालने के लिए इसे एक प्रक्रिया से गुजारा जाता है।  पहले  लैब में अंगूर और अनार के जूस को निकालने के बाद उसका जो वेस्टेज बचता है उसे सुखाया जाता है। सेब, टमाटर, अनार, चुकंदर आदि के छिलकों को एक विशेष मशीन में डालकर सुखाया जाता है।  छिलकों के सूखने के बाद इसे दूसरी मशीन में  डालकर उसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट को निकालकर पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर से दही श्रीखण्ड चॉकलेट जैसे प्रोडक्ट बनाने की तैयारी है  जो कई बीमारियों को रोकने में कारगर होंगे।

डा अरविन्द की मानें तो हमारे आज की जीवन शैली में तनाव, भाग दौड़, अनियमित जीवन और धूम्रपान जैसे नशे शामिल हैं, जिनकी वजह से हमारे शरीर में फ्री रेडिकल बनते हैं। इनसे हार्ट में ब्लॉकेज, डायबिटीज जैसी बीमारियां होती हं। यही रेडिकल जब हमारे डीएनए को तोड़ते हैं तो कैंसर जैसी बीमारी पैदा होती है। इन बीमारियों के शुरुआती दौर में ही रोकथाम के लिए अगर एंटीऑक्सीडेंट का प्रयोग किया जाए तो बड़ी सफलता मिल सकती है। यह प्रयोग लैब स्तर पर तैयार हो गया है।  कुछ जांच के बाद मनुष्यों पर प्रयोग की तैयारी की जाएगी।

अभी लैब में बने प्रोडक्ट चूहे पर प्रयोग करने के बाद आगे बढ़ेंगे। फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट के पाउडर से दही, श्रीखण्ड चॉकलेट जैसे प्रॉडक्ट लैब में तैयार किए जा चुके हैं।  इनका परीक्षण करने के बाद बाजार में लाने की तैयारी की जाएगी।

इस प्रयोग की सफलता के बाद साफ है कि  फलों के जिन छिलकों को हम फेंक देते थे, वही छिलके हमें कई रोगों से लड़ने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। यानी आप कह सकते हैं कि कुदरत की बनाई कोई भी चीज बेकार नहीं होती।

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पढ़ाई का जज्बा : 96 वर्ष की उम्र में एमए में दाखिला

पढ़ाई का जज्बा : 96 वर्ष की उम्र में एमए में दाखिला



पटना: कहा जाता है कि पढ़ने-लिखने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इस कहावत को एक बार फिर चरितार्थ किया है 96 साल के एक बुजुर्ग ने और अर्थशास्त्र स्नातकोत्तर (एमए) में दाखिला लेकर पढ़ने की इच्छा जताई है। पटना के नालंदा  मुक्त विश्वविद्यालय ने भी बुजुर्ग की इस इच्छा को उनके सीने में दफन नहीं होने दिया और बुजुर्ग के घर सम्मान स्वरूप जाकर स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम में उनका नामांकन लिया।

मूल रूप से बरेली, उत्तर प्रदेश के निवासी राजकुमार वैश्य उम्र के 96वें पड़ाव पर पिछले दिनों जब एमए की पढ़ाई करने में रुचि दिखाई तो उनके पुत्र ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय से संपर्क किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी नामांकन लेने की इच्छा जताई।

वर्तमान समय में वैश्य अपने परिजनों के साथ पटना के राजेन्द्र नगर में रहते हैं।

वाकर के सहारे चलने वाले वैश्य कहते हैं, "एमए की पढ़ाई करने की ख्वाहिश 77 साल से उनके सीने में दबी थी। सेवानिवृत्त हुए भी 38 साल हो गए। जिम्मेदारियों को पूरा करने में समय ही नहीं मिला। अब जाकर उनका सपना पूरा हुआ।"

नालंदा खुला विश्वविद्यालय का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने सम्मान स्वरूप वैश्य के घर जाकर मंगलवार को दाखिले की औपचारिकता पूरी की।

विश्वविद्यालय के संयुक्त कुलसचिव ए एन पांडेय ने बुधवार को बताया कि यह नामांकन उन लोगों के लिए प्रेरणादायी है, जिन्होंने किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ दी है।

राजकुमार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बरेली के रहनेवाले वाले हैं, जिनका जन्म 1 अप्रैल, 1920 को हुआ था। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा बरेली के एक स्कूल से 1934 में पास की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में स्नातक की परीक्षा पास की और यहीं से कानून की भी पढ़ाई की।

इसके बाद झारखंड के कोडरमा में नौकरी लग गई। इसके कुछ ही दिनों बाद उनकी शादी हो गई।

वैश्य ने बताया, "सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 1977 के बाद फिर बरेली चला गया। इस बीच पत्नी का स्वर्गवास हो गया। घरेलू काम में व्यस्त रहा, लेकिन एमए की पढ़ाई करने की इच्छा समाप्त नहीं हुई।"

उन्होंने आगे कहा, "अब पूरी तरह निश्चिंत हो गया हूं। अब तय है कि एमए की परीक्षा पास कर लूंगा।"

वैश्य के पुत्र संतोष कुमार कहते हैं कि पिताजी ने एमए करने की इच्छा जताई थी, तब नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा जगत के लिए एक बहुत बड़ी बात है।

संतोष कुमार एनआईटी पटना से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि उनकी पत्नी प्रोफेसर भारती एस़ कुमार पटना विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हैं।

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Monday, 7 September 2015

सफलता के 20 मँत्र!!

सफलता के 20 मँत्र!!

by-Junaid
1. खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंसा करो..!
3. खुद की भुल स्वीकारने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
4. किसी के सपनो पर हँसो मत..!
5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
6. रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!
7. खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
8. किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार…पुछो..!
9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
10. ईश्वर पर पुरा भरोसा रखो..!
11. प्रार्थना करना कभी मत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!
12. अपने काम से मतलब रखो..!
13. समय सबसे ज्यादा कीमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..
14. जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!
15. बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो, क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबो ही देती है..!
16. हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!
17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है, बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
18. कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है, जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता..?
19. सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ करते है
20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पडता है………..

खूबसूरती!

खूबसूरती!

By-Junaid
हर किसी को अपनी खूबसूरती पर घमण्ड होता है!
मै आज आपको खूबसूरती की परिभाषा बताता हूँ!!
खूबसूरत है वो लब!
जिन पर, दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए !!
खूबसूरत है वो दिल!
जो, किसी के दुख मे शामिल हो जाए !!
खूबसूरत है वो जज़बात!
जो, दूसरो की भावनाओं को समज जाए !!
खूबसूरत है वो एहसास!
जिस मे, प्यार की मिठास हो जाए !!
खूबसूरत है वो बातें!
जिनमे, शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ !!
खूबसूरत है वो आँखे!
जिनमे, किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए !!
खूबसूरत है वो हाथ!
जो किसी के, लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए !!
खूबसूरत है वो सोच!
जिस मैं, किसी कि सारी ख़ुशी झुप जाए!!
खूबसूरत है वो दामन!
जो, दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए !!
खूबसूरत है वो आंसू!
जो, किसी और के गम मे बह जाए…!!